शुक्रवार, 20 सितंबर 2013

————अचानक———

————अचानक———
था अंधेरा इस तरह
खोने का डर लगने लगा.
तुम मगर कौंधे
अचानक रास्ते दिखने लगे.
          — याज्ञवल्क्य

शुक्रवार, 29 जून 2012

मन  और  मस्तिष्क  में भावनाओं व विचारों की लहरें मचलती रहती हैं. यह संवेदनशीलता पर भी निर्भर हैं. यदि अन्य लोग इनके साथ अपनापन महसूस कर सकें तो और भी ज्यादा अच्छा लगता है.