शुक्रवार, 20 सितंबर 2013

————अचानक———

————अचानक———
था अंधेरा इस तरह
खोने का डर लगने लगा.
तुम मगर कौंधे
अचानक रास्ते दिखने लगे.
          — याज्ञवल्क्य